आज वर्ल्ड स्लीप डे:बच्चों से लेकर बड़ों में नींद से जुड़े ये 5 डिसऑर्डर्स हैं सबसे कॉमन; जानिए लक्षण
इस साल वर्ल्ड स्लीप डे 18 मार्च को मनाया जा रहा है। इसका लक्ष्य स्लीप डिसऑर्डर्स, यानी नींद के विकारों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। आंकड़ों के मुताबिक, हम अपनी एक तिहाई जिंदगी सोते-सोते गुजारते हैं। खाने और पानी की तरह नींद भी हमारी बेसिक जरूरत है, लेकिन आज की दौड़-भाग भरी लाइफस्टाइल के कारण नींद से जुड़ी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी के अनुसार, स्लीप डिसऑर्डर्स एक साइलेंट महामारी हैं। कम से कम 35% लोग मानते हैं कि नींद में गड़बड़ी की वजह से उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। वहीं, भारत की बात करें तो 2021 में हुए इंडिया स्लीप सर्वे के मुताबिक, 25% लोग अपने स्लीपिंग पैटर्न से खुश नहीं हैं।
1. इंसोम्निया
इंसोम्निया एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान को नींद आना बंद हो जाती है। यह जेट लैग, चिंता, एंग्जाइटी, हॉरमोन्स और पाचन की समस्या की वजह से हो सकती है। आज के दौर में नींद न आना काफी कॉमन हो गया है। इससे डिप्रेशन, मोटापा, चिड़चिड़ापन और फोकस न कर पाने जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
इंसोम्निया 30% से 45% एडल्ट आबादी को प्रभावित करता है। इस पर हुए शोधों की मानें तो इंसोम्निया के मरीजों को नॉर्मल लोगों के मुकाबले एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल होने या मौत का खतरा 7 गुना ज्यादा होता है। नींद न आने की बीमारी ज्यादातर महिलाओं और ज्यादा उम्र के एडल्ट्स को होती है।
2. स्लीप एप्ने
हाल ही में मशहूर बॉलीवुड गायक/संगीतकार बप्पी लहरी की मौत ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्ने से हुई थी। यह स्लीप एप्ने का ही एक प्रकार है। इस बीमारी में सोते वक्त इंसान को बिना पता लगे ही उसकी सांस रुक जाती है। इससे उसके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।
सांस रुकने की ये परेशानी 10 सेकंड से लेकर 1 मिनट तक हो सकती है। ऐसा एक घंटे में औसतन 5 बार हो सकता है। वजन ज्यादा होने पर स्लीप एप्ने का खतरा बढ़ जाता है। इससे दिल पर जोर पड़ता है। ज्यादा खर्राटे लेना, सोकर उठने के बाद मुंह सूखना और रात में पसीना आना इसके कुछ लक्षण हैं।
3. पैरासोम्निया
नींद में खलल डालने वाले कई डिसऑर्डर्स के सेट को पैरासोम्निया कहा जाता है। इसमें नींद में चलना, नींद में बड़बड़ाना, सोते वक्त कराहना, बुरे सपने देखना, बिस्तर गीला करना, शरीर का सुन्न हो जाना और जबड़ा जकड़ना शामिल हैं।
पैरासोम्निया अधिकतर बच्चों और बूढ़ों को होता है। नींद पूरी न होने, अच्छी नींद बीच में टूटने और मेडिकेशन्स के कारण पैरासोम्निया हो सकता है। इसके साथ ही ज्यादा चिंता, प्रेग्नेंसी, दिमाग में चोट, शराब या ड्रग्स का सेवन और परिवार में किसी को ये बीमारी होने से भी आप इसके शिकार हो सकते हैं।
4. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS)
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में व्यक्ति अपने पैर हिलाता रहता है। उसका अपने पैरों पर कंट्रोल नहीं होता, यानी ध्यान हटा और पैर हिलना शुरू। लगातार पैर हिलाने की इस आदत के कारण लोगों को पैरों में झुनझुनी होने लगती है। ये लक्षण दिन में दिखाई दे सकते हैं, वहीं रात में ये भयानक रूप ले लेते हैं। इससे लोगों की नींद खराब होती है।
RLS होने की कोई साफ वजह नहीं है। इसे दूसरी बीमारियों के साथ जोड़कर देखा जाता है। इसके अधिकतर मरीज अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) या पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित होते हैं।
5. नार्कोलेप्सी
नार्कोलेप्सी को ‘स्लीप अटैक’ भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को जागते समय अचानक थकान होती है, जिससे वह तुरंत सो जाता है। ये डिसऑर्डर लोगों में स्लीप पैरालिसिस की समस्या ईजाद कर सकता है। इसके चलते आप नींद से उठने के कुछ समय बाद तक अपना शरीर मूव नहीं कर सकते।
वैसे तो नार्कोलेप्सी अपने आप हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे कुछ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स से लिंक किया जाता है। इनमें मल्टिपल स्क्लेरोसिस शामिल है।
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