Rajya Sabha Election 2024: क्या होती है क्रॉस वोटिंग और कैसे होता है राज्यसभा चुनाव; इस एक फॉर्मूले से तय होती है जीत

Rajya Sabha Election 2024

Rajya Sabha Election 2024 राज्यसभा चुनाव के दौरान यूपी कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में क्रास वोटिंग का डर कई दलों को सता रहा है। यूपी में समाजवादी पार्टी और कर्नाटक में कांग्रेस के कई विधायक पार्टी लाइन हटकर से वोटिंग कर सकते हैं। क्रास वोटिंग उसे कहते हैं जब विधायक अपनी पार्टी के प्रत्याशी की बजाय किसी अन्य उम्मीदवार को वोट दे देता है।

जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Rajya Sabha Election 2024 राज्यसभा की 15 सीटों के लिए उत्तर प्रदेश कोटे की 10, कर्नाटक की चार और हिमाचल प्रदेश की एक सीट के लिए आज चुनाव होगा। इससे पहले 41 सीटों के लिए सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें आठ भाजपा और तीन सपा के हैं। भाजपा ने आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ को उतारकर चुनाव को और रोचक बना दिया है। दसवीं सीट के लिए क्रास वोटिंग तय है, जिसके लिए दोनों पक्षों से प्रयास होगा।

राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया आम चुनाव से अलग होती है। आम चुनाव के बारे में तो हर किसी को पता होता है, लेकिन राज्यसभा चुनाव का खेल हर आम नागरिक के समझ में नहीं आता है। आइए, आपको बताते हैं कि राज्यसभा चुनाव में वोटिंग कैसे होती है और इसकी क्या प्रक्रिया है।

जनता नहीं करती वोट

दरअसल, आम चुनाव के इतर राज्यसभा में जाने वाले सांसदों का चुनाव जनता नहीं करती है। इन सांसदों का चुनाव जनता द्वारा चुने गए सांसद करते हैं। 

सांसदों की सीटें कम, कार्यकाल ज्यादा

राज्यसभा एक स्थायी सदन होता है, जिस तरह लोकसभा भंग हो सकती है उस तरह राज्यसभा भंग नहीं होती। लोकसभा के मुकाबले राज्यसभा में सीटें कम होती है। संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार, राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 250 हो सकती है। 

इन 250 में से 238 सदस्य राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाते हैं, वहीं शेष 12 सांसद देश के प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति नामित करते हैं। हालांकि, फिलहाल सदन में ये आंकड़ा 245 सांसदों का है। राज्यसभा सांसद का कार्यकाल भी 6 साल का होता है।

राज्यसभा चुनाव में इन फॉर्मूले का होता है उपयोग 

  • राज्यसभा सांसद का चुनाव एक फॉर्मूले के तहत होता है। इसमें एक सांसद को कितने वोटों की जरूरत है, ये पहले से तय होता है।
  • दरअसल, इसमें एक विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा किया जाता है और इसे राज्य की कुल राज्यसभा सीटों में +1 जोड़कर भाग किया जाता है।
  • जो संख्या आती है उसमें एक जोड़ने के बाद, वो एक राज्य में राज्यसभा सीट जीतने के लिए वोट की संख्या होती है।
  • ये है फॉर्मूला: विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या x 100/(राज्यसभा की सीटें+1)= +1

ये है प्रक्रिया

राज्यसभा चुनाव कोई गुप्त मतदान नहीं होता और न इसमें ईवीएम का प्रयोग होता। यहां हर उम्मीदवार के नाम के आगे एक से चार तक का नंबर लिखा होता है। विधायकों को वरीयता के आधार पर उसपर निशान लगाना होता है।

1 लाख मिलती है सैलरी

राज्यसभा के सदस्यों की एक महीने की सैलरी 1 लाख रुपये होती है. इसके अलावा अगर सदस्य अपने आवास से ही ड्यूटी कर रहे हैं तो हर दिन 2 हजार रुपये का भत्ता भी मिलता है. 

राज्यसभा से जुड़े काम के लिए सदस्य यात्रा कर रहे हैं, तो उसका खर्चा भी नहीं लगता. सदस्य हवाई या रेलवे के अलावा किसी भी माध्यम से यात्रा करते हैं तो उसका खर्च सरकार देती है.

हर सदस्य को एक फ्री पास भी मिलता है, जिसके जरिए वो किसी भी ट्रेन में किसी भी वक्त मुफ्त में यात्रा कर सकते हैं. इस पास पर सदस्य के अलावा और कोई यात्रा नहीं कर सकता. इसके अलावा एक पास और मिलता है, जिसकी मदद से सदस्य अपनी पत्नी या किसी साथी के साथ फ्री में फर्स्ट एसी में सफर कर सकते हैं.

राज्यसभा सदस्य को निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता भी मिलता है. इसके अलावा राज्यसभा सांसद को आवास, बिजली, पानी, टेलीफोन और मेडिकल सुविधा भी मिलती है. 

रिटायर होने के बाद राज्यसभा सांसद को हर महीने 25 हजार रुपये पेंशन मिलती है. अगर कोई 5 साल से ज्यादा समय से सदस्य है तो हर साल के हिसाब से 2 हजार रुपये पेंशन में और जुड़ जाते हैं. यानी, अगर कोई 10 साल सदस्य है तो उसे हर महीने 35 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी. ये पेंशन हर 5 साल में बढ़ती है. अगली बार 1 अप्रैल 2023 को पेंशन बढ़ेगी.

100 साल से भी पुरानी है राज्यसभा

राज्यसभा का इतिहास 1919 से मिलता है. ब्रिटिश इंडिया में उस समय एक ऊपरी सदन बनाया गया था. तब इसे काउंसिल ऑफ स्टेट कहा जाता था. आजादी के बाद 3 अप्रैल 1952 को राज्यसभा का गठन किया गया. 23 अगस्त 1954 को इसका नाम काउंसिल ऑफ स्टेट से बदलकर राज्यसभा कर दिया गया.

राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है. इसके एक तिहाई सदस्यों हर दो साल में रिटायर हो जाते हैं. इसलिए हर दो साल में चुनाव होते हैं. 

राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं. इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि बाकी 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं. किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है. जैसे सबसे ज्यादा आबादी उत्तर प्रदेश की है, तो यहां 31 सीटें हैं. वहीं, 18 सीटें तमिलनाडु में हैं. जबकि, कई छोटे राज्य ऐसे हैं जहां एक-एक ही सीट है. 

कौन बन सकता है राज्यसभा सदस्य?

राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है. उसकी उम्र 30 साल से ज्यादा होनी चाहिए. ये जरूरी नहीं है कि वो जिस राज्य से राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित हो, वहीं का रहने वाला हो.

With Thanks Reference to: https://www.jagran.com/news/national-rajya-sabha-election-2024-how-rajya-sabha-elections-conducted-victory-is-decided-by-this-formula-23651528.html and https://www.aajtak.in/explained/story/rajya-sabha-elections-2024-bjp-sp-congress-up-karnataka-himachal-voting-process-rajyasabha-ntc-pryd-1887601-2024-02-26

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