सुनीता विलियम्स: Space में आज अपना बर्थ डे मना रहीं भारत की ये बेटी, गुजरात के छोटे से गांव से है नाता

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सुनीता विलियम्स आज 19 सितंबर को अपना 59वां बर्थडे मना रही हैं. सुनीता पांच जून को अंतरिक्ष स्टेशन पर गई थीं और उन्हें 13 को धरती पर वापस आना था, लेकिन यान में खराब के चलते वह पिछले 4 महीने से वहीं फंसी हुई हैं. सुनीता फरवरी 2025 तक पृथ्वी पर आ सकती हैं.

नई दिल्ली: Sunita Williams Birthday: पांच जून, 2024 को सुनीता अपने साथ बुच विल्मोर के साथ बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल से अंतरिक्ष स्टेशन गई थीं. लेकिन एयरक्राफ्ट में तकनीकी गड़बड़ी के चलते वहीं फंस गईं.अब सुनीता अगले साल 2025 तक ही धरती पर लौट पाएंगी. पर आज 17 सितंबर को सुनीता विलियम्स के लिए जश्न मनाने दिन है क्योंकि आज उनका बर्थ डे है. वह 59 साल की हो गई हैं. तो आइये इस मौके पर सुनीता विलियम्स की जिंदगी की कहानी के पन्ने पलटते हैं.

सुनीता विलियम्स अमेरिका के ओहिया में क्लीवलैंड में हुआ था. वह अमेरिका में ही पली बढ़ी हैं. पर उनके पिता दीपक पांड्या अहमदाबाद में रहते थे. वहीं उनके पूर्वज गुजरात के मेहसाना जिले के झुलासन गांव के थे. दीपक 1998 में अमेरिका चले गए. दीपक ने अमेरिका में स्लोवेनिया की रहने वाली बॉनी जालोकर से शादी कर ली. उनके तीन बच्चे हुए, जिनमें से एक हैं सुनीता विलियम्स.

सुनीता विलियम्स ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मैसाचुसेट्स से की है. फिर नौसैनिक अकादमी से ग्रेजुएशन किया. उनका सब्जेक्ट था फिजिकल साइंस. सुनीता ने 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमएस (इंजीनियरिंग मैनेजमेंट) किया. 1998 में सुनीता विलियम्स का चयन नासा में हुआ और वह 9 दिसंबर 2006 को पहली बार अंतरिक्ष में गईं.

सुनीता 5 जून को अंतरिक्ष में गईं, तब योजना के मुताबिक उन्हें 13 जून को ही धरती पर वापस लौटना था. पर उनके यान स्टारलाइनर में एक नहीं कई तरह की खराबी आ गई. यान में पांच जगहों पर हीलियम लीक हुई, पांच बार थ्रस्टर फेल्योर हुआ. नासा ने गड़बड़ियां ठीक करने के कई प्रयास किए लेकिन असफल रहा. इसलिए अब अगले साल तक ही सुनीता धरती पर वापस लौट पाएंगी. बता दें कि सुनीता के बर्थ डे पर उन्हें भारत से भी एक गिफ्ट मिला है. एक म्यूजिक कंपनी ने उनके लिए मोहम्मद रफी का जन्मदिन गीत, बार-बार ये दिन आए… प्ले किया है. इसमें कई गायकों और संगीतकारों ने अपना योगदान दिया है.

सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए दाला मंदिर में पूजा-अर्चना हो रही है
इमेज कैप्शन,सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए दाला मंदिर में पूजा-अर्चना हो रही है

सुनीता जब 2013 में यहां आई थीं तो दर्शन के लिए प्रसिद्ध दाला माता मंदिर गई थीं.

ग्रामीणों ने अब उनकी सुरक्षित वापसी के लिए दाला माता मंदिर में पूजा-अर्चना की है.

गाँव वालों को विश्वास है कि दाला माता उन्हें सारे ख़तरों से निकाल लाएंगी. मंदिर में सुनीता विलियम्स की एक तस्वीर लगाई गई है.

मंदिर के पुजारी दिनेश पंड्या ने कहा, ”हम उनकी लंबी ज़िंदगी और सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना करेंगे.” दिनेश पंड्या तो उनके रिश्तेदार भी हैं.

उन्होंने कहा कि सुनीता विलियम्स की धरती पर सुरक्षित वापसी के लिए पूजा और हवन भी होंगे. गाँवों वालों को इसमें शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया है.

जुलाई 2024 से ही यहाँ अखंड ज्योति (रात-दिन जलने वाला दीप) जलाई गई है. यह उनकी सुरक्षित वापसी की उम्मीद का प्रतीक है.

उन्होंने कहा, ”मैं पूजा के दौरान ख़ुद इस दीप पर नज़र रखता हूँ.”

सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए मंदिर में प्रार्थना करती महिलाएं
इमेज कैप्शन,सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए मंदिर में प्रार्थना करती महिलाएं

वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.

गाँव में रहने वाली गोमती पटेल कहती हैं, ”गांव की कुछ महिलाएं, यहाँ हर शाम आकर सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना करती हैं.”

उन्होंने कहा, ”अपनी देवी पर हमारा पूरा विश्वास है. हमें पता है कि देवी सुनीता विलियम्स को ज़रूर सुरक्षित वापस ले आएंगीं.”

दाला देवी के मंदिर में पूरी तन्मयता से प्रार्थना कर रहीं मधु पटेल ने कहा, ”हमें उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. नासा और सरकार को हमारी बेटी को धरती पर वापस लेने के लिए हर कोशिश करनी चाहिए.”

हाल ही में अमेरिका घूम आईं मधु पटेल ने कहा कि सुनीता का इस गांव से जुड़ाव रहा है. इसकी वजह से इस गांव और भारतीय समुदाय का मान बढ़ा है.

यहां हर तरफ़ सुनीता को मिल रहे सम्मान और प्रशंसा की चर्चा है.

एक स्थानीय स्कूल में प्रदर्शनी चल रही है, जिसमें सुनीता विलियम्स की तस्वीरें लगी हैं. साथ ही उनके जन्मदिन के मौक़े पर यहाँ स्पेस शटल का मॉडल भी रखा जाएगा.

उस दिन सुनीता विलियम्स पर एक भाषण प्रतियोगिता कराने की भी योजना है.

स्कूल के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगा है. इस पर सुनीता का नाम लिखा है- सुनीता पंड्या (विलियम्स)

सुनीता विलियम्स का भारत आगमन
इमेज कैप्शन,कुछ साल पहले पैतृक गांव झुलासण पहुंचने पर सुनीता विलियम्स का नागरिक अभिनंदन

झुलासण गांव की सीमेंट की सड़कें, नए ज़माने के बंगलों और पारंपरिक घरों को देखने से लगता है कि इलाक़े के दूसरे गाँवों की तरह यहाँ भी विदेश का पैसा आ रहा है.

इस गांव के लगभग दो हज़ार लोग अमेरिका में बसे हैं. यहाँ से विदेश जाने का सिलसिला 1957 में शुरू हुआ. उसी दौर में सुनीता विलियम्स के पिता दीपक पंड्या अमेरिका पहुँचे थे.

सुनीता विलियम्स
इमेज कैप्शन,68 साल के भरत गज्जर ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि कैसे सुनीता विलियम्स के पिता दीपक पंड्या और उनके साथ आए लोगों को ऊंट पर चढ़ा कर पूरे गांव में घुमाया गया था

गांव में कइयों को अब तक वो मंज़र याद है, जब 1972 में दीपक पंड्या अपने परिवार के साथ पहली बार झुलासण आए थे. उस समय गांव में भव्य जुलूस निकाला गया था.

बढ़ई का काम करने वाले 68 साल के भरत गज्जर ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि कैसे दीपक पंड्या और उनके साथ आए लोगों को ऊंट पर चढ़ा कर पूरे गाँव में घुमाया गया था.

झुलासण में सुनीता विलियम्स का पैतृक घर
इमेज कैप्शन,झुलासण में सुनीता विलियम्स का पैतृक घर

सुनीता विलियम्स के रिश्तेदार 64 वर्षीय नवीन पंड्या कहते हैं, ”मुझे अब भी याद है कि युवा सुनीता विलियम्स और उनके साथ के लोग किस तरह पूरे गांव में ऊंट पर सवार होकर घूम रहे थे. इस जुलूस ने कइयों को अमेरिका जाने के लिए प्रेरित किया.”

नवीन पंड्या सुनीता विलियम्स के उन चंद रिश्तेदारों में शामिल हैं जो अभी तक इस गांव में रह रहे हैं. वो भी सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.

वो कहते हैं, ”मैं सुनीता विलियम्स के परिवार के संपर्क में नहीं हूं लेकिन हम सब उनके लिए चिंतित हैं.”

झुलासण में विलियम्स परिवार के नाम पर कई संपत्तियां हैं. विलियम्स के दादा-दादी के नाम से 1960 के दशक के आख़िर में यहां एक लाइब्रेरी बनाई गई थी.

दीपक पंड्या का पैतृक घर मौजूद है लेकिन जीर्ण-शीर्ण स्थिति में.

अब भी कुछ छात्र इस लाइब्रेरी में आकर पढ़ते हैं. हालांकि खर्चा और कर्मचारियों का वेतन निकालने के लिए इसका एक हिस्सा किराए पर दे दिया गया है.

जिस स्कूल के दानदाताओं में सुनीता विलियम्स का नाम है, उसकी प्रेयर हॉल में उनके दादा-दादी की तस्वीर लगी है.

स्कूल के प्रिंसिपल अंबालाल पटेल ने बताया, ”सुनीता विलियम्स जब अमेरिका से यहाँ आई थीं तो उन्होंने स्कूल की बेहतरी के लिए ढाई लाख रुपये दिए थे.”

2007 में सुनीता विलियम्स का स्कूल भवन में नागरिक अभिनंदन किया गया था.

सुनीता विलियम्स
इमेज कैप्शन,स्कूल में इस तरह सुनीता विलियम्स की तस्वीरें लगाई गई हैं

सुनीता एक रिश्तेदार किशोर पंड्या ने 2007 में उनसे हुई मुलाक़ात को याद करते हुए बताया, ”मैं उनके पास गया और अपनी थोड़ी-बहुत अंग्रेजी में उनसे कहा- आय एम योर ब्रदर. उन्होंने मेरे साथ हाथ मिलाया और कहा- ओह! माई ब्रदर. मैं अब भी उस मुलाक़ात को याद करता हूँ.”

किशोर पंड्या ने बताया, ”हमने सुनीता के परिवार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन ये सफल नहीं रहा. जब तक दीपक चाचा (सुनीता के पिता) जीवित थे हमारी उनसे बातचीत हो जाती थी. लेकिन उनके निधन के बाद ये मुश्किल हो गया.”

अगले साल फ़रवरी में सुनीता विलियम्स के धरती पर लौट आने की संभावना है. हर कोई इस पल का इंतज़ार कर रहा है. लेकिन इस बीच, उनका काम और उनकी बातें लगातार लोगों को प्रेरित कर रही हैं.

सुनीता विलियम्स के हाथ से लिखा नोट
इमेज कैप्शन,सुनीता विलियम्स के हाथ से लिखा नोट

झुलासण के एक युवा वकली तरुण लेउवा कहते हैं, ”हमें पता है कि उनकी वजह से पूरी दुनिया में हमारे गांव का नाम रोशन हो रहा है.”

चार्टर्ड अकाउंटिंग के एंट्रेस एग्जाम की तैयारी कर रहे मंथन लेउवा कहते हैं, ”एक बार उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था- अगर हम अपने काम से प्यार करते हैं तो हमारी सफलता निश्चित है. मुझे लगा कि अमेरिका में रहने के बावजूद वो झुलासण में रहने वाले हम जैसे लोगों की तरह ही हैं. यही वजह है कि वो हम जैसे कई लोगों की प्रेरणा बन गई हैं.”

With Thanks Reference to:https://www.bbc.com/hindi/articles/c98yd6775k4o and https://www.india.com/hindi-news/india-hindi/sunita-williams-birthday-19-september-know-her-story-family-career-nasa-7257514/

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