Ganesh Chaturthi 2022 Live: देश में गणेशोत्सव की धूम, जानिए गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Ganesh Chaturthi 2022 Muhurat Time Puja Vidhi, Wishes In Hindi: आज से गणेश उत्सव शुरू हो गया है। मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर विध्नहर्ता और मंगलमूर्ति भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण से सभी चतुर्थी में इसका विशेष स्थान है। आज से घर-घर और बड़े-बड़े पंडालों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करके उनकी विधिवत पूजा-अर्चना शुरू होगी। गणेशोत्सव 10 दिनों तक चलेगा।
आज गणेशोत्सव पर कैसे करें गणपति उपासना
आज देशभर में गणेशोत्सव की धूम है। भगवान गणेश के भक्त अपने घरों और सार्वजनिक जगहों पर गणेशजी की भव्य प्रतिमाएं स्थापित करके विधि-विधान से पूजा कर रहै हैं। गणेशोत्सव का पर्व 9 सितंबर तक चलेगा। ऐसे आने वाले 10 दिनों में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए भगवान गणपति से जीवन में सुख-समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
गणेश चतुर्थी तिथि, शुभ महूर्त और योग
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त 2022 को दोपहर के 03 बजकर 34 मिनट पर होगी। फिर यह चतुर्थी तिथि 31 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगी। पद्म पुराण के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म स्वाति नक्षत्र में मध्याह्न काल में हुआ था। इस कारण से इसी समय पर गणेश स्थापना और पूजा करना ज्यादा शुभ और लाभकारी होगा।
गणेश चतुर्थी शुभ योग
इस वर्ष गणेश उत्सव बड़े ही शुभ योग में मनाया जाएगा। गणेशोत्सव की शुरुआत 31 अगस्त बुधवार के दिन से हो रही है। शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा-आराधना करने पर सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं फौरन ही दूर हो जाती हैं। इसके अलावा गणेश चतुर्थी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है। रवि योग में की जाने वाली पूजा सदैव लाभकारी होती है। इस दिन रवि योग 31 अगस्त को सुबह 06 बजकर 06 मिनट से लेकर 01 सितंबर की सुबह 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। वहीं अगर ग्रहों के योग की बात करें तो गणेश चतुर्थी के दिन चार प्रमुख ग्रह स्वराशि में मौजूद रहेंगे। गुरु अपनी स्वराशि मीन में, शनि मकर राशि में, बुध ग्रह स्वयं अपनी कन्या राशि में और सूर्यदेव स्वराशि सिंह में मौजूद होंगे। इस वजह से शुभ संयोग में गणेश स्थापना करने पर जीवन में वैभव, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होगी।
कैसे होनी चाहिए भगवान गणेश की प्रतिमा
- सार्वजनिक जगहों पर जैसे पंडालों में गणेश स्थापना के लिए भगवान गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई होनी चाहिए।
- घर और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भगवान गणेश की मूर्ति मिट्टी के अलावा सोने, चांदी, स्फटिक और अन्य चीजों से बनी मूर्ति रख सकते हैं।
- भगवान गणेश की प्रतिमा जब भी स्थापित करें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए।
- गणेशजी की मूर्ति में उनके हाथों में अंकुश,पाश, लड्डू, सूंड धुमावदार और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होनी चाहिए। इसके अलावा उनके शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए।
गणेश मूर्ति स्थापना विधि
- गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें।
- फिर इसके बाद पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश का स्मरण करते हुए अपने कुल देवता का नाम मन में लें।
- इसके बाद पूजा स्थल पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं।
- फिर छोटी चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक थाली में चंदन,कुमकुम, अक्षत से स्वस्तिक का निशान बनाएं।
- थाली पर बने स्वस्तिक के निशान के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा आरंभ कर दें।
- पूजा करने ले पहले इस मंत्र का जाप करें।
- गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
गणेश चतुर्थी शुभ योग
इस वर्ष गणेश उत्सव बड़े ही शुभ योग में मनाया जाएगा। गणेशोत्सव की शुरुआत 31 अगस्त बुधवार के दिन से हो रही है। शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा-आराधना करने पर सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं फौरन ही दूर हो जाती हैं। इसके अलावा गणेश चतुर्थी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है। रवि योग में की जाने वाली पूजा सदैव लाभकारी होती है। इस दिन रवि योग 31 अगस्त को सुबह 06 बजकर 06 मिनट से लेकर 01 सितंबर की सुबह 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। वहीं अगर ग्रहों के योग की बात करें तो गणेश चतुर्थी के दिन चार प्रमुख ग्रह स्वराशि में मौजूद रहेंगे। गुरु अपनी स्वराशि मीन में, शनि मकर राशि में, बुध ग्रह स्वयं अपनी कन्या राशि में और सूर्यदेव स्वराशि सिंह में मौजूद होंगे। इस वजह से शुभ संयोग में गणेश स्थापना करने पर जीवन में वैभव, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होगी।
- सार्वजनिक जगहों पर जैसे पंडालों में गणेश स्थापना के लिए भगवान गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई होनी चाहिए।
- घर और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भगवान गणेश की मूर्ति मिट्टी के अलावा सोने, चांदी, स्फटिक और अन्य चीजों से बनी मूर्ति रख सकते हैं।
- भगवान गणेश की प्रतिमा जब भी स्थापित करें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए।
- गणेशजी की मूर्ति में उनके हाथों में अंकुश,पाश, लड्डू, सूंड धुमावदार और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होनी चाहिए। इसके अलावा उनके शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए।
गणेश मूर्ति स्थापना विधि
- गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें।
- फिर इसके बाद पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश का स्मरण करते हुए अपने कुल देवता का नाम मन में लें।
- इसके बाद पूजा स्थल पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं।
- फिर छोटी चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक थाली में चंदन,कुमकुम, अक्षत से स्वस्तिक का निशान बनाएं।
- थाली पर बने स्वस्तिक के निशान के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा आरंभ कर दें।
- पूजा करने ले पहले इस मंत्र का जाप करें।
- गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
गणेश जी की पूजा विधि
- सबसे पहले भगवान गणेश का आवहन करते हुए ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चौकी पर रखी गणेश प्रतिमा के ऊपर जल छिड़के।
- भगवान गणेश की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों को बारी बारी से उन्हें अर्पित करें। भगवान गणेश की पूजा सामग्रियों में खास चीजें होती हैं ये चीजें- हल्दी, चावल, चंदन, गुलाल,सिंदूर,मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई,मोदक, फल,माला और फूल।
- इसके बाद भगवान गणेश का साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजा में धूप-दीप करते हुए सभी की आरती करें।
- आरती के बाद 21 लड्डओं का भोग लगाएं जिसमें से 5 लड्डू भगवान गणेश की मूर्ति के पास रखें और बाकी को ब्राह्राणों और आम जन को प्रसाद के रूप में वितरित कर दें।
- अंत में ब्राह्राणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।
- पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करें।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
आखिर क्यों की जाती है गणेशजी की स्थापना और विसर्जन ?
आज बप्पा घर-घर में विराजमान होंगे। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस तिथि पर भगवान गणेश के भक्त अपने घरों और प्रतिष्ठानों में गणपति की मूर्ति की स्थापना करते हैं और अंनत चतुर्दशी पर उनका विसर्जन करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान गणेश की स्थापना और विसर्जन क्यों करते हैं।
महर्षि वेदव्यास से जुडी है कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी का आह्नान किया था। उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार तो किया परन्तु उन्होंने एक शर्त रखी ‘कि मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं,यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा’। तब वेदव्यासजी ने कहा कि भगवन आप देवताओं में अग्रणी हैं,विद्या और बुद्धि के दाता हैं और मैं एक साधारण ऋषि हूं। यदि किसी श्लोक में मुझसे त्रुटि हो जाय तो आप उस श्लोक को ठीक कर उसे लिपिबद्ध करें।
गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी,लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। अतः गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा।
महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास ने देखा कि गणपति का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है,तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। इसलिए गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को स्थापित किया जाता है और 10 दिन मन,वचन कर्म और भक्ति भाव से उनकी उपासना करके अनंत चतुर्दशी को विसर्जित कर दिया जाता है।
मिट्टी के बिठाएं गणेशजी
प्रकृति में पीओपी से बनी मूर्तियों का जहर न फैले इसलिए हर घर-पांडाल में मिट्टी के गणेश की स्थापना होनी चाहिए।धार्मिक मान्यता के अनुसार मिट्टी के गणेश की प्रतिमा पंचतत्व यानि भूमि,जल,वायु,अग्नि और आकाश का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए मिट्टी के गणेश की प्रतिष्ठा करने से हर कार्य सिद्ध होते हैं।
300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ संयोग
आज से भगवान गणेश की उपासना और साधना का महापर्व गणेशोत्सव प्रारंभ हो गया है। यह 09 सितंबर तक चलेगा। इस बार की भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी बहुत ही खास और शुभ फल देने वाली है। 300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ संयोग बना रहा है। दरअसल इस बार गणेश चतुर्थी तिथि पर वही शुभ योग और संयोग बना हुआ है जो गणेशजी के जन्म के समय बना था। भगवान गणेश का जन्म बुधवार के दिन, चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्र काल में हुआ था। इसके अलावा 31 अगस्त से 9 सितंबर तक गणेश उत्सव के बीच कई शुभ और मंगलकारी शुभ योग बनेगा।
देश के अलग-अलग जगहों पर गणेशोत्सव की धूम
With Thanks Reference to: https://www.amarujala.com/spirituality/festivals/ganesh-chaturthi-2022-live-date-time-ganpati-sthapana-shubh-muhurat-puja-vidhi-samagri-wishes-aarti