भारत-सऊदी के बीच ‘सबसे बड़ी’ अंडर वाटर केबल का MOU साइन, क्या इससे बदल जाएंगे ट्रेड समीकरण? समझें
भारत-सऊदी के बीच अंडर वाटर केबल: सऊदी अरब इस वक्त भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. भारत की योजना आने वाले सात सालों में ग्रीन एनर्जी सप्लाई का हब बनने की है. इसी कड़ी में दोनों देशों के बीच समुद्र में अंडर वाटर केबल बिछाने पर सहमति बनी है.
नई दिल्ली. सऊदी अरब दशकों से भारत को क्रूड ऑयल बेचता आ रहा है. आने वाले वक्त में सऊदी नहीं बल्कि भारत सऊदी का ऊर्जा के क्षेत्र एक बड़ा निर्यातक साझेदार बन सकता है. इस दिशों में एक बड़ा कदम सोमवार को उठाया गया. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक सोमवार को दोनों देशों के बीच नए समझौते हुए हैं. इसके तहत भारत और सऊदी अरब ने बिजली ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन क्षमताओं के बीच समुद्र के भीतर इंटरलिंक बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की. सऊदी की योजना भारत से क्लीन एनर्जी की सप्लाई इस केबल के माध्यम से लेने की है.
साल 2030 तक भारत ने पांच मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है. पीएम नरेंद्र मोदी का लक्ष्य भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन के एक्सपोर्ट का हब बनने का है. नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय के मंत्री आरके सिंह और सऊदी अरब के उनके समकक्ष अब्दुलअजीज बिन सलमान अल-सऊद के बीच सोमवार को एमओयू (सहमति ज्ञापन) पर साइन हुए. अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले वक्त में भारत की छवि तेल आयातक देश से ग्रीन व हाइड्रोजन पावर के निर्यातक की बन जाएगी. मौजूदा वक्त में सऊदी अरब भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल व कुकिंग गैस सप्लायर है.
सी केबल रूट में क्या हैं चुनौतियां?
केंद्र सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘यह एमओयू जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में ऊर्जा परिवर्तन और वैश्विक ऊर्जा प्रणाली के परिवर्तन के लिए भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा.’ हालांकि दोनों देशों के बीच साइन हुए इस एमओयू का क्रियान्वयन किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. दुनिया भर में समुद्र के अंदर 485 केबल एक्टिव हैं, जिनमें सबसे लंबा ब्रिटेन और डेनमार्क के बीच 764 किलोमीटर का है. भारत और सऊदी अरब की दूरी 2,600 किलोमीटर से अधिक की है. जब भी यह प्रोजेक्ट साकार होगा, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रीन पावर के संबंध में ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ के वैश्विक ग्रिड के दृष्टिकोण में पहला समुद्र के अंदर बना लिंक होगा.
भारत में पेट्रोलियम स्टोरेज बनाएगा सऊदी अरब!
एमओयू के दौरान दोनों देशों के बीच पेट्रोलियन रिजर्व को लेकर भी साझेदारी की बात कही गई है. माना जा रहा है कि सऊदी अरब भारत में तेल और गैस के स्टोरेज बनाने में मदद कर सकता है. मौजूदा वक्त में तीन लोकेशन पर भारत में पांच मिलियन टन तक स्टोरेज की क्षमता है.
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