देश में क्यों पड़ी सीबीआई (CBI) की जरूरत और कैसे हुई स्थापना, 60 साल में सुलझाए कौन-कौन से मामले?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई के डायमंड जुबली कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने सीबीआई अधिकारियों से कहा कि कोई भी भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए और हमारी कोशिशों में कोई भी ढील नहीं आनी चाहिए। आइए जानते हैं सीबीआई क्या है, इसकी स्थापना कब हुई, इसका उद्देश्य क्या है और इसने अब तक किन-किन मामलों की जांच की…
एक अप्रैल 1963 को हुई सीबीआई की स्थापना
सरकार ने भ्रष्टाचार के उन्मूलन और सत्यनिष्ठा को स्थापित करने के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के संकल्प से दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 1946 पारित हुआ। सन 1962 में लाल बहादुर शास्त्री ने प्रशासन में भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाओं से निपटने और सुझाव देने के लिए संथानम कमेटी नियुक्ति की। कमेटी की संस्तुतियों पर अमल करते हुए भारत सरकार ने एक अप्रैल 1963 को प्रस्ताव द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरी यानी सीबीआई की स्थापना की।
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारत की प्राथमिक जांच एजेंसी है, जिसे 1 अप्रैल 1963 को गृह मंत्रालय, भारत सरकार के एक संकल्प द्वारा स्थापित किया गया था।
सीबीआई के पहले डायरेक्टर कौन थे?
सीबीआई के पहले डायरेक्टर डी.पी.कोहली थे। उन्होंने सीबीआई अधिकारियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा- जनता आपसे कार्यकुशलता और सत्य निष्ठा दोनों में उच्चतम स्तर की अपेक्षा करती है। इस विश्वास को बनाए रखना है।
देश की विभिन्न संस्थाओं और जनता का जीता विश्वास
शुरुआत से ही सीबीआई ने अपने आदर्शवाद के उद्यमिता, निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के पथ पर चलते हुए अत्यंत जटिल और संवेदनशील मामलों की जांच में सत्य को उजागर कर देश की विभिन्न संस्थाओं और जनता का विश्वास अर्जित किया है। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, केंद्र व राज्य सरकार, लोकपाल और केंद्रीय सतर्कता आयोग ने निरंतर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की संगीन आपराधिक मामलों की जांच सौंपकर सीबीआई की जांच प्रणाली में अपना विश्वास व्यक्त किया है।
आर्थिक प्रणाली पर बढ़ाया लोगों का विश्वास
देश की आर्थिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई बैंक धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों की गहन जांच कर अपना महत्वपूर्ण योगदान देती रही है। CBI ने देश की आर्थिक प्रणाली पर लोगों का भरोसा बढ़ाया है।
CBI की जिम्मेदारी
सीबीआई पर गंभीर मामलों की जांच, अनुसंधान और उनके सफल अभियोजन का दायित्व है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अंतर्गत इंटरपोल की नोडल एजेंसी के रूप में काम करने वाली CBI आज देश के विभिन्न पुलिस बल के साथ परस्पर समन्वय, प्रशिक्षण और रिसर्च के माध्यम से राष्ट्र को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। CBI की वास्तविक शक्ति उसके अनुसंधान और अभियोजन अधिकारियों की पेशेवर दक्षता, कर्तव्य के प्रति समर्पण और ईमानदारी से ही है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में CBI अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
सीबीआई के द्वारा जांच किए गए प्रमुख मामले
- एल एन मिश्रा मर्डर केस 1975
- राजीव गांधी हत्याकांड, 1991
- मुंबई बम ब्लास्ट केस, 1993
- पुरुलिया आर्म्स ड्राप केस, 1995
- शारदा चिट फंड घोटाला, 2013
- चुनाव बाद हिंसा मामला 2021
- कोयला घोटाला, 2012
- आईसी-813 हाइजैकिंग केस, 1999
- सृजन घोटाला, बिहार
- प्रियदर्शनी माटो मर्डर केस
- चारा घोटाला, 1996
- कामनवेल्थ गेम्स घोटाला, 2010
- टेलीकाम घोटाला 1996
- हर्षद मेहता केस, 1992
- स्टांप पेपर स्कैम केस, 2004
- सत्यम स्कैम केस, 2009
- कैट स्कैम केस
- को-आपरेटिव ग्रुप हाउसिंग स्कैम
- शोपियां दुष्कर्म और हत्या मामला
- बेंगलुरु हत्याकांड
- असम सीरियल ब्लास्ट मामला
- कोठखाई दुष्कर्म हत्या मामला
- यश बैंक-डीएचएफएल लोन धोखाधड़ी मामला
- एनएसई को-लोकेशन स्कैम
सीबीआई के प्रमुख आपरेशन
CBI ने वांछित भगोड़ों की भारत वापसी के लिए आपरेशन त्रिशूल (Operation Trishul), ड्रग्स संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए आपरेशन गरुण (Operation Garuda), साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए आपरेशन चक्र (Operation Chakra), बाल यौन शोषण को रोकने के लिए आपरेशन मेघ चक्र (Operation Megh Chakra) लांच किया है।
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