OP Chautala News: दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला की सजा को निलंबित किया, पढ़िये क्या है पूरा मामला?

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आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी अपील याचिका लंबित रहने तक के लिए उनकी सजा को निलंबित कर दिया। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की आयु 88 वर्ष है और उन्होंने एक वर्ष और छह महीने हिरासत में बिताए हैं।

वर्तमान मामले में उनके जमानत बांड स्वीकार किए जाने के बाद भी वह जेल में रहे हैं क्योंकि अन्य मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया था।अपील याचिका को सुनवाई के लिए बोर्ड पर आने में कुछ समय लग सकता है। ऐसे में भारतीय दंड संहिता प्रक्रिया की धारा-428 के तहत अपीलकर्ता/आवेदक की सजा को अपील के निस्तारण तक के लिए निलंबित किया जाता है।

पीठ ने कहा कि सजा का निलंबन ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए 50 लाख रुपये के जुर्माने के भुगतान और पांच लाख रुपये के निजी मुचलके व इतनी ही राशि की एक जमानती को निष्पादित करने के अधीन होगा।पीठ ने यह भी आदेश दिया कि निचली अदालत की अनुमति के बगैर चौटाला विदेश का दौरा नहीं करेंगे।

राउज एवेन्यू कोर्ट ने चौटाला को 27 मई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम- 1988 की धारा 13(1)(ई) के तहत दोषी ठहराते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई थी।साथ ही 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए सिरसा व पंजकूला समेत चार संपत्ति सीज करने का आदेश दिया था। अधिवक्ता हर्ष शर्मा के माध्यम से अपील याचिका दायर कर चौटाला ने निचली अदालत के निर्णय को दी है।

अदालत ने चौटाला व सीबीआइ का पक्ष सुनने के बाद एक अगस्त को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।चौटाला की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने तर्क दिया था कि दोषी ठहराने व सजा देने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका लंबित रहने तक उनके मुवक्किल को रिहा किया जाए।

चाैटाला ने अपील में यह भी तर्क दिया था कि वह पहले ही मामले के सिलसिले में पांच साल जेल की सजा काट चुके हैं।मुकदमा और दोषसिद्धि दो अलग-अलग मात्रा में आय से अधिक संपत्ति पर आधारित है।वहीं, सीबीआइ ने सजा पर रोक लगाने की चौटाला की याचिका का विरोध किया था।

यह है मामला
इस आदेश में अदालत ने यह भी कहा कि वैसे तो चौटाला को इस मामले में जमानत मिल गई है और उन्होंने जमानती बांड भरा भी है लेकिन वह हिरासत में ही हैं और उन्हें अन्य मामले में सुनाई गई सजा के कारण जेल से कभी रिहा नहीं किया गया। निचली अदालत ने 27 मई को चौटाला को 1993-2006 के बीच आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के जुर्म में चार साल की कैद की सजा सुनाई थी और 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

हाईकोर्ट ने इस सजा को निलंबित करने के चौटाला के अनुरोध पर इस सप्ताह के प्रारंभ में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने उनपर 1993-2006 के दौरान आय के वैध स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते 2005 में मामला दर्ज किया था और 26 मार्च, 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया था।


सीबीआई की एफआईआर के अनुसार 24 जुलाई, 1999 से पांच मार्च, 2005 तक हरियाणा का मुख्यमंत्री रहने के दौरान चौटाला ने अपने परिवार के सदस्यों एवं अन्य के साथ साठगांठ कर चल एवं अचल संपत्तियां अर्जित की थीं जो उनकी एवं उनके परिवार के सदस्यों की आय के ज्ञात वैध स्रोत से अधिक थी।

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