Amjad Khan: गांव के धोबी ने अमजद खान को बना दिया शोले का ‘गब्बर’, जानिए क्या है पूरा किस्सा

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‘यहां से पचास-पचास कोस दूर गांव में जब बच्चा रात को रोता है, तो मां कहती है बेटा सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा…’ फिल्म शोले का यह डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर रटा है। शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभाकर चर्चा में आए अमजद खान लोगों के दिलो-दिमाग में हमेशा के लिए बस गए। गब्बर का रोल करने के बाद अभिनेता अमजद खान को लोग गब्बर ही कहने लगे थे।

भारतीय इतिहास में ऐसे कई कलाकारों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपने बेहतरीन अभिनय की अमिट छाप छोड़ी है। शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अभिनेता अमजद खान भी ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं। डाकू के इस किरदार से घर-घर प्रसिद्ध हुए अभिनेता ने अपने इस किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया कि लोगों के मन में उनकी डाकू वाली छवि आज तक मिट नहीं पाई है। अपनी दमदार आवाज और बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के दम पर गब्बर सिंह हिंदी सिनेमा के खूंखार खलनायकों में आज भी अव्वल है। फिल्म जगत का नायाब सितारा आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह गया था।

यूं तो अमजद खान ने अपने करियर में कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में काम किया है, लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी। वे पहली बार 1951 में आई फिल्म नाजनीन नजर आए थे। इसके बाद उन्होंने कुछ और फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। फिर कुछ सालों तक थिएटर में काम और 1973 में फिल्म हिंदुस्तान की कसम में लीड हीरो के तौर पर डेब्यू किया था। अमजद खान ने भले ही तमाम फिल्मों में काम किया हो, लेकिन शोले में उनका गब्बर का किरदार अमर हो गया। ठेठ देसी अंदाज में जब वह तंबाकू रगड़ते हुए डायलॉग बोलते थे तो हर कोई उनका फैन हो गया था

लेकिन आप जब ये जानेंगे कि अमजद खान को गब्बर सिंह जैसी डायलॉग डिलीवरी करने की प्रेरणा किससे मिली तो आप हैरान रह जाएंगे। गब्बर सिंह के डायलॉग डिलीवरी का जो अंदाज था, वो न तो फिल्म के डायरेक्टर ने बताया था और ना ही स्क्रिप्ट राइटर ने। अब सवाल ये उठता है कि आखिर अमजद ने ये अंदाज कहां से सीखा। 

दरअसल, अमजद खान के गांव में एक धोबी था। जो रोज सुबह- सुबह लोगों से इसी अंदाज में बात करता था। अमजद खान उसके स्टाइल से बहुत प्रभावित थे और बड़े गौर से उसे सुनते थे। जब उन्हें फिल्म शोल में गब्बर सिंह का रोल करने की चुनौती मिली तो उन्हें एक आइडिया सूझा। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में चर्चित विलेन के अंदाज कॉपी करने की बजाय धोबी वाले ठेठ अंदाज को आजमाने की ठान ली। उसके बाद तो रमेश सिप्पी भी अमजद खान की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए। 

साल 1951 में फिल्म नाजनीन से बतौर बाल कलाकार इंडस्ट्री में कदम रखने वाले अभिनेता ने अपने करियर में कई फिल्में कीं। 17 साल की उम्र में बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले अमजद खान ने 1973 में आई फिल्म हिंदुस्तान की कसम के जरिए बतौर हीरो डेब्यू किया था। अपने लंबे फिल्मी करियर के दौरान अमजद खान ने परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, हीरालाल- पन्नालाल, सीता और गीता जैसी फिल्मों में भी काम किया था। 27 जुलाई 1992 में दिल का दौरा पड़ने से फिल्म जगत का यह नायाब सितारा हमेशा के लिए दूर चला गया। अभिनेता ने महज 51 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।

With Thanks Reference to: https://www.agniban.com/amjad-khan-was-not-the-first-choice-for-gabbar-singh-was-influenced-by-the-washerman-and-became-a-dreaded-dacoit/ (AmarUjala) https://www.amarujala.com/photo-gallery/entertainment/bollywood/amjad-khan-birth-anniversary-know-unknown-facts-of-sholay-gabbar-singh

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