Kandahar Review: अदाकारी की नींव पर टिकी एक्शन फिल्म ‘कंधार’  , अली फजल को मिला एक और शानदार इंटरनेशनल मौका

कंधार - फोटो

किसी भी फिल्म की मूल आत्मा उसकी कहानी होती है अगर फिल्म की कहानी प्रभावशाली न हो तो बाकी सारी  चीजें बेकार हो जाती है।  भले ही फिल्म का निर्माण भव्य स्तर पर किया गया हो, दुनिया की बेहतरीन टेक्निकल टीम और दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ सितारे ही फिल्म में क्यों न हो । फिल्म ‘कंधार’ देखकर ऐसा ही लगता है कि फिल्म निर्माण के दौरान जितनी भी चीजों की आवश्यकता होती है, वह सब फिल्म में है, लेकिन फिल्म की कहानी अगर रोचक तरीके से पेश की गई होती तो निश्चित रूप से यह फिल्म दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाने और भी सफल होती । फिल्म अमेरिका में 26 मई  को रिलीज हो चुकी है, अब इसे ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज किया गया है।    

फिल्म ‘कंधार’ की कहानी की शुरुआत ईरान से होती है जहां पर अमेरिका अपने सीआईए एजेंट टॉम हैरिस को भेजकर वहां के खुफिया न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर को नष्ट करवा देता है। अमेरिका नहीं चाहता है कि  ईरान अपने परमाणु शक्ति को बढ़ाए। इस मिशन को पूरा करने के बाद जब टॉम हैरिस दुबई के रास्ते अपने घर लंदन वापस आना चाहता है, तभी  उसे एक मिशन पर अफगानिस्तान भेज दिया जाता है। इसके बदले उसे मुंह मांगे पैसे भी दिए जाते हैं।टॉम हैरिस के साथ मोहम्मद उर्फ मो को ट्रांसलेटर के तौर पर भेजा जाता है।  टॉम हैरिस ईरान से हेरात के  रास्ते अफगानिस्तान  दाखिल होता है, इसी दौरान टॉम हैरिस का चेहरा न्यूज चैनल पर न्यूक्लियर प्लांट में ब्लास्ट करने के लिए जिम्मेदार के तौर पर दिखाया जाता है। जब ईरानी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को पता चलता है कि टॉम हेरात में है। पाकिस्तान की तरफ से टॉम को पकड़ने की जिम्मेदारी एजेंट काहिल नसीर को दी जाती है।

हॉलीवुड की ‘फेलन’, ‘शॉट कॉलर’, ‘एंजेल हैज फालेन’, ‘ग्रीनलैंड’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके रिक रोमन वॉ ने फिल्म ‘कंधार’ का निर्देशन किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी यह फिल्म कमर्शियल फिल्मों के मानक पर खरी उतरती है। फिल्म के लोकेशन, जबर्दस्त एक्शन सीन, विजुअल इफेक्ट्स फिल्म को काफी प्रभावशाली बनाते हैं, लेकिन फिल्म की कहानी को ढंग से पर्दे पर पेश नहीं कर पाए। कहानी को लेकर जो दर्शकों में उत्सुकता होनी चाहिए, वह इस फिल्म में नजर नहीं आई। फिल्म की कहानी इतनी तेजी से बढ़ती है और फिल्म के जिस तरह से किरदार बढ़ते जाते है, समझ में नहीं आता है  कि कहानी में उनकी उपयोगिता क्या है? हर किरदार का कायदे से परिचय भी फिल्म नहीं कराता ही।

फिल्म के एक्शन दृश्यों की शूटिंग जिस तरह से सिनेमैटोग्राफर मैकग्रेगर ने रेगिस्तान में शूट किया है वह काबिले तारीफ है। एक्शन फिल्में देखने वाले दर्शकों को इस फिल्म में कई हैरतअंगेज एक्शन दृश्य देखने को मिलेंगे। फिल्म के बहुत सारे सीन अंधेरे में शूट किए गए है, वहां थोड़ी सी सिनेमाई लिबर्टी लेने की जरुरत थी ताकि दर्शकों को स्क्रीन पर आंख  गड़ा कर फिल्म न देखनी पड़े। फिल्म अगर तकनीकी रूप से थोड़ी कमजोर भी हो तो दर्शक फिल्म से जुड़ जाते हैं, बशर्ते फिल्म की  कहानी उन्हें बांधे रखे। फिल्म की कहानी पूर्व सैन्य खुफिया अधिकारी मिचेल लाफॉर्च्यून ने स्नोडेन लीक के दौरान साल 2013 में अफगानिस्तान में तैनात किए जाने के अपने अनुभवों के आधार पर लिखी है जिस पर एक अच्छी डाक्यूमेंट्री फिल्म तो बन सकती है, लेकिन फीचर फिल्म बनाने के लिए मजबूत कहानी के साथ ही धैर्य की जरूरत है।

फिल्म में टॉम हैरिस की भूमिका जेरार्ड बटलर ने निभाई है जिन्होंने इस फिल्म का निर्माण भी किया है। एजेंट काहिल नसीर की भूमिका अली फजल ने निभाई है। फिल्म में जेरार्ड बटलर अपने अभिनय से काफी प्रभावित करते हैं। अपने मिशन पर जिस जांबाजी का अनुभव उनके किरदार मे दिखता है, उससे कहीं ज्यादा भावुक और सरल जब अपने परिवार से मिलते हैं, तब दिखता है। मोहम्मद उर्फ मो की भूमिका में ईरानी अभिनेता नाविड  नेगाबन के किरदार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला। फिल्म में उनकी भावनात्मक यात्रा काफी प्रभावित करती है। ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’, ‘फ्यूरियस 7’ जैसी हॉलीवुड की  फिल्में कर चुके अभिनेता अली फजल का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘कंधार’ निश्चित रूप से उनका अगला पड़ाव है। एजेंट काहिल नसीर की भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है, लेकिन अभी अभी उनको अंतरास्ट्रीय स्तर पर खुद को तैयार करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। 

With Thanks Reference To : https://www.amarujala.com/entertainment/movie-review/kandahar-movie-review-in-hindi-gerard-butler-ali-fazal-travis-fimmel-navid-negahban-bahador-foladi-mark-arnold-2023-06-17?pageId=4

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