11 की उम्र में शुरू की एक्टिंग, पति-बच्चों को छोड़ प्रेमी संग विदेश भागीं, फिर सड़क पर गुजारी जिंदगी
बड़े पर्दे पर दूसरों की जिंदगी में जहर घोलती नजर आने वाली शशिकला की खुद की जिंदगी किसी बुरे सपने की तरह रही। इनका जन्म तो एक अमीर घराने में हुआ था, लेकिन जब पिता का बिजनेस डूबा तो परिवार सड़कों पर आ गया और यहीं से शुरू हुआ शशिकला का संघर्ष भरा सफर।
6 भाई-बहनों में शशिकला सबसे खूबसूरत और टैलेंटड हुआ करती थीं। इसलिए पिता ने इन्हें फिल्मों में काम कर पैसे कमाने भेज दिया। महीनों तक भटकीं तो फिल्मों में काम मिला, लेकिन पहचान मिली खलनायिका की। फिल्मों में काम पाने के साथ शशिकला असल जिंदगी में भी प्यार पाने के लिए जद्दोजहद करती रहीं।
शादी हुई तो पति से प्यार नहीं मिला, जब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में प्यार मिला तो हालत और बदतर हो गई। प्रेमी के टॉर्चर से परेशान होकर वापस आईं तो न रहने को घर था, न खाने के पैसे, न ही पहनने को कपड़े। शशिकला सड़कों पर सोईं और भीख में मिला खाना खाने लगीं।
पिता हुए कंगाल तो परिवार के साथ पहुंच गईं बॉम्बे
4 अगस्त 1932 में 6 भाई-बहनों के बीच जन्मीं शशिकला का जन्म सोलापुर, महाराष्ट्र में हुआ। 5 साल की उम्र में ही उन्होंने डांसिंग, सिंगिंग और एक्टिंग करना शुरू कर दिया। वे शहर के कई प्ले में हिस्सा भी लिया करती थीं।
कुछ समय बाद पिता को बिजनेस में ऐसा नुकसान हुआ कि उन्हें शहर छोड़कर मुंबई जाना पड़ा। परिवार मुंबई तो पहुंचा, लेकिन यहां न इनके पास घर था, न पैसे। दोस्त ने अपने ही घर में इनके परिवार को ठिकाना दिया।
नौकरानी बनीं तो चल सका घर
घर चलाने की जद्दोजहद में शशिकला को परिवार के लिए आगे आना पड़ा। घरों में नौकरानी का काम शुरू किया। झाड़ू, कपड़ा और बर्तन साफ करके कम उम्र में ही शशिकला पैसे कमाने लगीं। खूबसूरत थीं, लेकिन कमाई का कोई और जरिया नहीं था। जिन घरों में काम करतीं, वहां के लोग ही कहते कि इतनी सुंदर हो, फिल्मों में ट्राय क्यों नहीं करती।
फिल्म स्टूडियो के चक्कर काटे तो मिला काम
जब लोगों ने इस तरह की बातें कहीं तो पिता ने भी इन्हें फिल्मों में हाथ आजमाने की सलाह दी। हिंदी सिनेमा में जगह बनाना उस समय भी आसान नहीं था। फिर भी 10 साल की शशिकला काम की तलाश में फिल्म स्टूडियों के चक्कर काटने लगीं। यहां एक दिन इनकी मुलाकात उस समय की कामयाब एक्ट्रेस नूरजहां से हुई।
र के पति शौकत हुसैन रिजवी, जीनत (1945) नाम की फिल्म बना रहे थे। मजबूरी में मदद करते हुए नूर जहां ने शशिकला को फिल्म की कव्वाली में छोटा सा रोल दे दिया। बेहतरीन अभिनय के लिए शशिकला को इस फिल्म के लिए 25 रुपए मिले। देखते-ही-देखते शशिकला का नूर जहां और शौकत से परिवार जैसा रिश्ता बन गया। इनके कहने भर से शशिकला को इंडस्ट्री में काम मिल जाया करता था।
शशिकला चंद फिल्मों में नजर तो आईं, लेकिन इन्हें कामयाबी नसीब नहीं हुई, जो रोल मिल रहे थे वो नूर जहां की सिफारिश पर मिल रहे थे। जब भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद नूर जहां पति के साथ पाकिस्तान चली गईं तो शशिकला को काम मिलना फिर मुश्किल हो गया। छोटे-मोटे रोल किए तो घर का गुजारा हो सका।
नेगेटिव रोल से इंडस्ट्री में मिली पहचान
शशिकला 1948 की फिल्म पुगड़ी में नजर आईं। इसके बाद शशिकला तीन बत्ती चार रास्ता (1953) समेत कई फिल्मों में नजर आईं। शशिकला, शम्मी कपूर के साथ डाकू (1955) फिल्म में भी थीं। 1959 में शशिकला को बतौर वैम्प इंडस्ट्री में पहचान मिल चुकी थी। इस दौरान वे आरती, फूल और पत्थर, आई मिलन की बेला, गुमराह, वक्त और खूबसूरत जैसी फिल्मों में नजर आईं।
शशिकला का रोल लोगों को इनसे नफरत करवा दिया करता था। ये हीरोइन की जिंदगी में जहर घोलने वाली सास, ननद या साइड किरदार में सबसे ज्यादा बड़े पर्दे पर देखी गईं। शशिकला अपने पूरे करियर में करीब 100 से ज्यादा फिल्मों में नजर आईं। आरती और गुमराह के लिए इन्हें बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।
बागी शशिकला की पर्सनल लाइफ रही विवादों में
शशिकला ने बेहद कम उम्र में ओम प्रकाश सहगल से शादी कर ली। ये लव मैरिज थी, जिससे उन्हें 2 बेटियां हुईं। महज चंद महीनों के बाद ही दोनों की शादीशुदा जिंदगी में दरारें पड़ने लगीं। मन-मुटाव बढ़े और दोनों के बीच झगड़ों की कोई हद नहीं रही।
एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए छोड़ दिया घर
शादीशुदा जिंदगी बिखरने लगी तो शशिकला एक शख्स से करीब आ गईं। दोनों के बीच नजदीकियां ऐसी बढ़ गईं कि शशिकला ने बिना कुछ सोचे ही पति और 2 बेटियों को छोड़ दिया। ये शख्स कौन था, ये कुछ ही लोग जानते थे। इसकी कभी कोई पहचान सामने नहीं आई। शशिकला नई जिंदगी के लिए उस शख्स के साथ विदेश चली गईं, लेकिन जिसके साथ दोबारा घर बसाने के सपने देखे, वही शशिकला को टॉर्चर करने लगा। मारपीट और टॉर्चर इस हद तक पहुंच गया कि शशिकला विदेश से भागकर वापस भारत आ गईं।
घरवालों ने ठुकराया तो सड़कों पर गुजारने लगीं जिंदगी
शशिकला वापस तो आईं, लेकिन परिवार ने उनके लिए दरवाजे नहीं खोले। बुरी तरह टूट चुकी शशिकला सड़कों पर आ गईं। यहीं रहती, यहीं सोती और कोई भीख में खाना देता तो खा लेतीं। पागलों की तरह सड़कों पर घूमने लगीं।
कुछ महीनों के बाद शशिकला शांति की तलाश में आश्रम और मंदिरों के चक्कर काटने लगीं। कोलकाता पहुंचकर मदर टेरेसा के साथ रहने लगीं। 9 सालों तक उनके साथ लोगों की सेवा की। शांति मिली तो वापस मुंबई पहुंच गईं। काम की तलाश में निकलीं तो टीवी इंडस्ट्री ने उन्हें काम दिया। शशिकला सोनपरी, जीना इसी का नाम है, दिल देके देखो जैसे शोज में नजर आईं। इन्हें शाहरुख, अमिताभ, सलमान के साथ परदेसी बाबू, बादशाह, कभी खुशी कभी गम, मुझसे शादी करोगी और चोरी-चोरी जैसी फिल्मों में भी काम करने का मौका मिला।
साल 2005 में शशिकला आखिरी बार पद्मश्री लालू प्रसाद यादव में नजर आईं और फिर इंडस्ट्री से दूर हो गईं। 2007 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 4 अप्रैल 2021 में 88 साल की शशिकला दुनिया से रुखसत हो गईं। आखिरी समय में शशिकला अपनी बेटी और दामाद के साथ मुंबई में ही रहा करती थीं।
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